रास्ते में कहीं भी ऐसा नजारा दिखे,
तो अपने गांव की याद सताने लगती हैं।
शहरीकरण के दौर में गांव का ऐसा,
खूबसूरत नजारा नसीब वाले को मिलता है।
गांव का यह सुंदर और मनमोहक दृश्य,
देखने में काफी प्यारा लग रहा हैं।
ऐसा नजारा शहर मे कहां देखने को मिलता हैं।
शहर की चमक कितनी भी बड़ी क्यों ना हो।
वहां सुकून किराए पर भी नहीं मिलता है।
गांव में तो नींद भी अपनेंपन में आती हैं।
और सुबह में भी अपनत्व से मुस्कुराती है।
गांव की ओर जाने वाली हर सड़क,
दिल के करीब होती है उसे देखकर ही,
घर जाने का मन होने लगता है।
आज शहर की चकाचौंध में,
कितना कुछ मिल गया पर वो गांव जैसा
मासूमियत, वो नजारा, वो सुकून कहां,
गांव की कुछ यादें ऐसी होती हैं।
जिसे हम कभी भुल नहीं सकते है।
जैसी गर्मी पड़ रही है।
उसे देखकर तो यही लगता है कि,
आजकल सुबह नहीं सीधे दिन हो रहा हैं।
गांव में रहने की सुनहरी यादें ,
अभी भी दिल पर छाई हुई हैं।
गांव से भले ही दूर रह रहा हूँ।
लेकिन गांव की यादों में खोया हूं।
गर्मियों की तपिश में,
अपना गांव याद आता है।
जीवन के भागदौड़ मे,
गांव का सुकून याद आता हैं।