पहले का बचपन मिट्टी में खेलता था।
आंगन में दौड़ता था,धूल में लेटता था।
आज का बचपन मोबाइल में खो गया हैं।
वो बचपन का दिन भी क्या खूब था।
बारिश में भीगना, मिट्टी में खेलना,
और मां के आवाज में घर वापस बुलाना,
वो सादगी आज भी दिल को छू जाती है।
भीगने की इजाजत मां-बाप से नहीं लेते थे।
बस नंगे पैर दौर पड़ते थे खेतों की तरफ,
अब बारिश आती हैं पर भीगापन नहीं आता