इतना भी हसीन ना हुआ कर,
ऐ गांव के खूबसूरत मौसम,
हर किसी का महबूब पास नहीं होता।
गांव की सुबह की बात ही कुछ और होती है।
जो सुकून यहां होती हैं वह कहीं नहीं होती।
राह ए जिंदगी में तन्हा मैं चलता चला गया।
जिम्मेदारियों में खुद को बदलता चला गया।
घर की जरूरतों ने मुझे शहरी बना दिया।
और गांव मेरा हाथ से फिसलता चला गया।
गांव का यह सुंदर सजक और
मनमोहक दृश्य कितना प्यारा लग रहा है।
ऐसा प्यार और अपनत्व केवल गांव में हैं।
बारिश के दिनों में,
गांव की खूबसूरती बढ़ जाती है।
खेत खलिहान की भीगी हुई हरियाली,
बाग बगीचे के हरा पता दिल को ठंडक देता है
शहर के बंद कमरों में,
जब शाम को उदासी छाती है।
गांव की रौनक भरी सांझ,
फिर बहुत याद आती हैं।
गांव की सुबह का सुंदर दृश्य,
ऐसा नजारा देखकर मन को,
बहुत सुकून मिलता हैं।
लगता हैं स्वर्ग का दर्शन हो गया।
शहर की भागदौड़ में,
गांव की वह सुकून याद आती हैं।
शहरों की रास्तों पर,
गांव की वह पगडंडियां याद आती हैं।
जिंदगी इंसान को कहां से कहां ले आती हैं।
दौलत की चाहत में सौंदर्य से दूर हो जाता है।
गांव की सुंदरता और उसकी,
शांति का कोई मुकाबला नहीं,
जो सुकून गांव में हैं वो और कहीं नहीं