गांव से दूर कहीं भी रहो मेरे भाई।
अपने घर की याद कभी ना कभी,
आ ही जाती हैं।
हर कदम हल्का लगता हैं।
जहां साधारण पलो का आकर्षण हैं।
और हवाएं शांत हैं और दुनिया,
धीमी गति से चलती है ऐसी जगह गांव हैं।
गांव में आम के पेड़ो पर,
ये मंजर कितना खूबसूरत दिखता है।
शहर में रहने वाले लोगों को,
क्या पता की यहाँ कितना सुकून है।
खेतों में हरियाली के बीच पेड़ों की छांव में घर,
यहां हर सुबह प्रकृति की मधुर आवाजें सुनाई देती हैं।
सादगी और शांति का एहसास जो दिल को सुकून देता है।
गांव की मिट्टी,गांव की खुशबू,हर पल यादों में बसा रहता हैं।
ये गांव,ये हवाएं,ये सुकून
ये सदा मिजाज और हरियाली,
फिर से गांव लौटने पर मजबूर करती है।
सुकून की तलाश में,
बेवजह भटकते रहे इधर उधर,
सुकून तो अपने गांव में आकर मिला।
सुकून तो गांव में शाम के समय,
नदी के तट पर अकेले बैठने में है।
दिल और दिमाग ताजगी से भर जाता है।