कुछ कच्ची सड़के गांव के बीते दिनों की
सुनहरी यादों को फिर से ताजा कर देती हैं।
गांव की सुकून वाली खाट जहां,
हरे भरे पेड़ो के बीच में आराम से,
बैठकर टाइम पास किया जाता हैं।
मुझे गांव इसीलिए पसन्द हैं।
खेतों से ताजी सब्जियां मिलती हैं।
और बड़ा सुकून मिलता हैं।
पूरे परिवार के साथ काम करके,
जख्म छुपकर ताउम्र हम हंसते रह गए।
ना चाह कर भी शहर में हम बसते रह गए।
किस्मत में लिखा था पदेश,परदेश ही मिला।
मेरे गांव तेरे खातिर हम तरसते रह गए।
आम के बगीचे में वो मासूमियत बसी हैं।
जो शहर की गलियों में खो गई सी लगती हैं।
हर कच्ची पंखुड़ी में एक कहानी छुपी हुई है।
गांव का ये बगीचा सच में दिल को भाता है।
दुनिया के भाग दौर से,
चलो कहीं दूर चलते हैं।
गांव के किसी नदी के,
किनारे सुकून ढूंढने चलते है।