गांव का नाम सुनकर ही सुकून मिलता है।
तो जरा सोचिए गांव और
गांव की सांझ कितना प्यारा होता है।
कच्चे घरों में जीवन बिताने वाले,
मजबूर होकर शहर चले ही गए।
बस उनकी यादें रह गई गांव में,
गांव की सुनी राहें देखकर,
आँखें भर जाती हैं।
छोटे और बड़ों का साथ,
और दोस्तों की बहुत याद आती हैं।
आप घूमते होंगे पार्क में जनाब,
हम तो गांव वाले हैं।
हमें तो अपने खेतों में घूमना पसंद हैं।